भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (भा.वा.अ.शि.प.) भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का एक स्वायत्त संस्थान है। संस्थान की संकल्पना दीर्घकालिक पारिस्थितिकी स्थिरता हासिल करना तथा वन पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण और वैज्ञानिक प्रबंधन के माध्यम से सतत् विकास एवं आर्थिक सुरक्षा हासिल करना है। संस्थान का लक्ष्य पारिस्थितिकी सुरक्षा, बेहतर उत्पादकता, आजीविका में वृद्धि एवं वानिकी अनुसंधान और शिक्षा के माध्यम से वन संसाधनों के सतत् उपयोग हेतु वैज्ञानिक ज्ञान और प्रौद्योगिकियों को उद्यत करना, उनको आगे बढ़ाना और उनका प्रसार करना है। भा.वा.अ.शि.प. राष्ट्रीय स्तर पर वानिकी अनुसंधान के क्षेत्र में शीर्ष संस्थान है जो वानिकी क्षेत्र में आवश्यकता के अनुसार अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार को बढ़ावा देता है और संचालित करता है। इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैंः
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देश में वन संसाधनों के वैज्ञानिक और सतत् प्रबंधन के लिए वानिकी अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार को संचालित करना, बढ़ावा देना एवं समन्वय करना।
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सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने तथा राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ परिषद में वानिकी अनुसंधान कार्यक्रमों को श्रेणीबद्ध करना।
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वानिकी मामलों में राष्ट्रीय महत्व और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के विषयक निर्णय लेने में सहायता करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को वैज्ञानिक सलाह और नीतिगत सहायता प्रदान करना।
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वानिकी, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से संबंधित वैज्ञानिक ज्ञान कोष के रूप में कार्य करना और विभिन्न हितधारकों को ऐसे ज्ञान को प्रसारित करना।
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वन संरक्षण, वनीकरण, कृषि वानिकी और संबद्धित गतिविधियों हेतु राज्यों, वन आधारित उद्योगों, वृक्ष उत्पादकों, किसानों एवं अन्य को तकनीकी सहायता व सहयोग प्रदान करना।
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सतत् संसाधन उपयोग, आजीविका और आर्थिक विकास के लिए उपयुक्त वन आधारित प्रौद्योगिकियों, प्रक्रियाओं और उत्पादों का विकास करना।
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वैज्ञानिक ज्ञान और उपयुक्त वन-आधारित प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के माध्यम से वन आश्रित समुदायों को आजीविका सहायता प्रदान करना।
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वानिकी क्षेत्र के लिए तकनीकी रूप से योग्य मानव संसाधन विकसित करना।
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देश में वानिकी शिक्षा को बढ़ावा देना एवं एक समान पाठ्यक्रम के विकास सहित तकनीकी और वित्तीय सहायता के माध्यम से गुणवत्ता में सुधार के लिए विश्वविद्यालयों को सुविधा प्रदान करना।
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पर्यावरण और वन क्षेत्रों में परामर्श और क्षमता विकास सेवाएं प्रदान करना।
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वानिकी और संबद्ध विषयों के लिए राष्ट्रीय वन पुस्तकालय और सूचना केंद्र का विकास और रखरखाव करना।
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पर्यावरण और वन विस्तार कार्यक्रमों को विकसित करना और मास मीडिया और ऑडियो-विजुअल एड्स के माध्यम से इसे बढ़ावा देना।
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अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और संधियों के तकनीकी पहलुओं पर सरकार का सहयोग और सलाह देना।
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उपर्युक्त उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु अन्य जरूरी और अनुकूल गतिविधियों का संचालन करना, जिन्हें परिषद आवश्यक समझे।
09 शोध संस्थानों (शुष्क वन अनुसंधान संस्थान, जोधपुर; वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून; हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला; वन जैव विविधता संस्थान, हैदराबाद; वन उत्पादकता संस्थान, रांची; वन आनुवंशिकी एवं वृक्ष प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर; काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, बेंगलुरु; वर्षा वन अनुसंधान संस्थान, जोरहाट और उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर) और 05 केंद्रों जो अगरतला, आइजोल, प्रयागराज, छिंदवाड़ा और विशाखापत्तनम में स्थित हैं, के साथ भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद की संपूर्ण भारत मे उपस्थिति है।