पारितंत्र सेवाएं सुधार परियोजना
विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित पारितंत्र तंत्र सेवाएं सुधार परियोजना (ईएसआईपी) सतत् भूमि और पारितंत्र प्रबंधन एवं आजीविका लाभों के माध्यम से अनुकूलन आधारित शमन के लिए मॉडल प्रदर्शित करके हरित भारत मिशन (जीआईएम) के लक्ष्य का समर्थन करती है। ईएसआईपी जैव विविधता और कार्बन स्टॉक सहित प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए नए साधन और तकनीक की शुरुआत कर रहा है। ईएसआईपी एक वेब आधारित राष्ट्रीय डेटा बेस पोर्टल विकसित करके राष्ट्रीय स्तर पर भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण की निगरानी के तरीके को बदल देगा।
ईएसआईपी वन गुणवत्ता सुधार और सुस्पष्ठ, सिद्ध, टिकाऊ भूमि और पारितंत्र प्रबंधन (एसएलईएम) की सर्वोत्तम प्रथाओं के उन्नयन पर कार्य कर रहा है। परियोजना का उद्देश्य वन आश्रित समुदायों के लिए वन गुणवत्ता, भूमि प्रबंधन और गैर-काष्ठ वन उपज से मिलने वाले लाभ में सुधार करना है।
ईएसआईपी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चयनित परिदृश्यों में लागू है, इन राज्यों का चयन जलवायु परिवर्तन प्रभावों के लिए वन ग्रिड की अनुमानित भेद्यता पर आधारित है। परिदृश्य के चयन के लिए अन्य मानदंडों में संकटग्रस्त प्रजातियों की उपस्थिति, सामाजिक-आर्थिक समावेशन, वन प्रकार, क्षरण की स्थिति और मानवजनित दबाव शामिल थे। ईएसआईपी में निम्नलिखित चार घटक हैंः
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वानिकी और भूमि प्रबंधन कार्यक्रमों में सरकारी संस्थानों की क्षमता को मजबूत करना।
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वन गुणवत्ता में सुधार के लिए निवेश।
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सतत् भूमि एवं पारितंत्र प्रबंधन प्रथाओं का उन्नयन।
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परियोजना प्रबंधन।
ईएसआईपी के प्रत्यक्ष लाभार्थियों में लगभग 25,000 लोग शामिल हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश राज्यों में सामुदायिक स्तर पर वनवासी, छोटे भूमिधारक, सीमांत किसान और भूमिहीन पशुपालक शामिल हैं। अप्रत्यक्ष लाभार्थियों में इन राज्यों में बड़ी आबादी शामिल है जो बेहतर वन गुणवत्ता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं जैसे कि बेहतर जल प्रवाह, जलवायु सुधार और भूमि उत्पादकता से लाभान्वित होंगे। राज्य स्तर पर, राज्य के वन विभाग मजबूत संस्थागत क्षमता, नई प्रौद्योगिकियों और उन्नत कार्बन माप और निगरानी प्रणालियों के मुख्य लाभार्थी हैं।
ईएसआईपी को छत्तीसगढ़ राज्य वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, मध्य प्रदेश वन विभाग और भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद द्वारा परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों के रूप मे, हरित भारत मिशन निदेशालय, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, भारत सरकार के समग्र निर्देशन और मार्गदर्शन में संयुक्त रूप से कार्यान्वित किया जा रहा है। भा.वा.अ.शि.प. उप-घटक 1.2ः वन कार्बन स्टॉक को मापने और निगरानी-क्षमता विकास, घटक 3ः स्थायी भूमि और पारितंत्र प्रबंधन और घटक 4ः ईएसआईपी के तहत परियोजना प्रबंधन को क्रियान्वित कर रहा है।
मध्य प्रदेश राज्य में ईएसआईपी के तहत एसएलईएम प्रथाओं को बढ़ाने के लिए परियोजना क्षेत्र में पांच वन परिक्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले 36 गांव शामिल हैं। वन परिक्षेत्रों में उत्तर बैतूल वन प्रभाग में भाैंरा, सीहोर वन प्रभाग में बुधनी, और होशंगाबाद वन प्रभाग में सुखतावा, इटारसी और बानापुरा शामिल हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में एसएलईएम गतिविद्यियों को बढ़ाने के लिए ईएसआईपी क्षेत्र में चार वन परिक्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले 35 गांव शामिल हैं। परियोजना गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिए कवर्धा वन प्रभाग में पश्चिम पंडरिया, काठगोरा वन प्रभाग में पाली, मरवाही वन प्रभाग में मरवाही और बलरामपुर वन प्रभाग में रघुनाथनगर वन परिक्षेत्र शामिल हैं। दोनों राज्यों में परियोजना क्षेत्र का कुल भौगोलिक क्षेत्र लगभग 51241.54 हेक्टेयर है जिसमें वन क्षेत्र लगभग 19150.93 हेक्टेयर है जबकि वन के बाहर का क्षेत्र लगभग 28397 हेक्टेयर है। ईएसआईपी के तहत मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में उपरोक्त वन परिक्षेत्रों में वन कार्बन स्टॉक की माप और निगरानी और क्षमता निर्माण से संबंधित गतिविधियाँ की जा रही हैं।