पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय


पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) भारत की पर्यावरण और वानिकी नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की योजना, प्रसार, समन्वय और निगरानी के लिए भारत सरकार की नोडल एजेंसी है। मंत्रालय की प्राथमिकता देश की झीलों और नदियों, इनकी जैव विविधता, जंगलों और वन्यजीवों सहित देश के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, जानवरों की कुशलता को सुनिश्चित करने और प्रदूषण की रोकथाम और उन्मूलन से संबंधित नीतियों और कार्यक्रमों का कार्यान्वयन है। इन नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करते समय, मंत्रालय सतत् विकास और मानव कल्याण में वृद्धि के सिद्धांत द्वारा निर्देशित होता है।

मंत्रालय के विस्तृत उद्देश्य हैंः वनस्पतियों, जीवों, वनों और वन्यजीवों का संरक्षण और सर्वेक्षण, प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण, वनीकरण और अवक्रमित क्षेत्रों का उत्थान, पर्यावरण और वन्य जीवन की सुरक्षा, तीन रियो सम्मेलनों के साथ भारत की प्रतिबद्धताओं और दायित्वों से संबंधित गतिविधियों को सुविधाजनक बनाना, अर्थात, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) और कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (सीबीडी) और संबंधित रिपोर्टिंग प्रक्रिया, बासेल, रॉटरडैम, स्टॉकहोम सम्मेलनों से संबंधित गतिविधियों को सुविधाजनक बनाना और वियना कन्वेंशन के तहत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के अनुसार भारत को अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सक्षम बनाना। इन उद्देश्यों को पर्यावरण के संरक्षण, सुरक्षा और बचाव के उद्देश्य से विधायी और नियामक उपायों के एक सेट द्वारा अच्छी तरह से समर्थन दिया जाता है। विधायी उपायों के अलावा, पर्यावरण और विकास पर एक राष्ट्रीय संरक्षण रणनीति और नीति वक्तव्य, 1992, राष्ट्रीय वन नीति, 1988, प्रदूषण के उपशमन पर एक नीति वक्तव्य, 1992 और एक राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006 आदि भी मंत्रालय के कार्य का मार्गदर्शन करती हैं।