पर्यावरणीय और सामाजिक सुरक्षा उपाय


ईएसआईपी के पर्यावरणीय एवं सामाजिक प्रबंधन ढांचे (ईएसएमएफ) के अंतर्गत परियोजना गतिविधियों के कार्यान्वयन सें उत्पन्न होने वाले किसी भी प्रतिकूल पर्यावरणीय व सामाजिक प्रभावों से बचने या कम करने के उपाय सम्मिलित हैं। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश राज्यों में परियोजना गतिविधियों को लागू करते समय पर्यावरणीय एवं सामाजिक सुरक्षा उपायों को उचित रूप से सम्मिलित करते हुए निम्नलिखित न्यूनीकरण कार्यवाहियों का ध्यान रखा गया है :

1.  सीपीआर (साझा संपति संसाधन)ध् चारागाह भूमि के पुनरूद्धार (रेस्टॉरेशन) के दौरान क्षेत्रीय दृष्टिकोण (zonation approach)का पालन करना।
2.  सीपीआर (साझा संपति संसाधन) के लिए योजना बनाने, पुनरूद्धार (रेस्टॉरेशन) और प्रबन्धन करने में उपयोगकर्ताओं को सम्मिलित करना।

ईएसआईपी के तहत संभावित पर्यावरणीय एवं सामाजिक जोखिमध् प्रभाव और सुरक्षा उपाय

संभावित जोखिम/प्रभाव सुरक्षा उपाय
पर्यावरणीय
वृक्षा रोपण/वनों एवं सीपीआर (साझा संपति संसाधन) के पुनर्स्थापन में विदेशी और गैर-देशी प्रजातियों का उपयोग-स्वदेशी प्रजातियों की जैव विविधता पर प्रभाव। सतत् भूमि एवं पारितंत्र प्रबंधन की सर्वोत्तम प्रणालियों के विस्तारीकरण करने हेतु बहुउद्देश्यीय लाभ देने वाली देशी वनस्पति प्रजातियों का उपयोग करना।

उपलब्ध विदेशी और गैर-देशी य वनस्पति प्रजातियों की सूची बनाना।

कीटों और खरपतवारों के उन्मुलन हेतु कृषि रसायनों का प्रयोग-कृषि रसायनों के उपयोग से भूजल, सतही जल और मिट्टी पर दुष्प्रभाव। जैव उर्वरकों और जैव कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ावा देना।

प्रतिबंधित श्रेणी I, वर्ग II A और श्रेणी II B कीटनाशकों की खरीद पर पूर्ण प्रतिबंध।

निजी कृषि भूमि पर एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) को बढ़ावा देना।

सीपीआर (साझा संपति संसाधन) की पुनरूद्धार (रेस्टॉरेशन) के दौरान मवेशियों/ पशुधन के विस्थापन के कारण अन्य क्षेत्रों में चराई का दबाव बढ़ना। पुनरूद्धार (रेस्टॉरेशन) से पहले चराई हेतु उपयोग में आने वाले अन्य क्षेत्रों की पहचान करना।

रेस्टॉरेशन के दौरान क्षेत्रीय दृष्टिकोण ( zonation approach ) का पालन करना।

सीपीआर (साझा संपति संसाधन) के लिए योजना बनाने, पुनरूद्धार (रेस्टॉरेशन) और प्रबंधन में उपयोगकर्ताओं की भागेदारी को सुनिश्चित करना।

सामाजिक
कमजोर एवं पिछड़े वर्गों और महिलाओं की अल्प भागीदारी। कमजोर एवं पिछड़े और महिला लाभार्थियों को संगठित करने हेतु सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) सामाग्री विकसित कर व्यापक उपयोग करना।

परियोजना गतिविधियों में कमजोर, पिछड़े वर्गों और महिला लाभार्थियों को सम्मिलित करने के लिए न्यूनतम प्रारंभिक स्तर (70%से ऊपर) सुनिश्चित करना।

सीपीआर (साझा संपति संसाधन) की रेस्टॉरेशन के दौरान चारे/चराई के लिए भूमिहीन पशुपालकों के लिए विकल्पों की कमी। सीपीआर (साझा संपति संसाधन) उपयोगकर्ताओं की सूची तैयार करना।

सीपीआर (साझा संपति संसाधन) के पुनरूद्धार (रेस्टॉरेशन) के दौरान भूमिहीनए पशुपालकों को कन्वर्जेन्स के माध्यम से वैकल्पिक रोजगार/आय सुनिश्चित करना।

पुनरूद्धार (रेस्टॉरेशन) के दौरान क्षेत्रीय दृष्टिकोण(zonation approach) का पालन करना और कुछ क्षेत्रों को उपयोग के लिए छोड़ देना।

सीपीआर (साझा संपति संसाधन) की पुनरूद्धार (रेस्टॉरेशन) के दौरान ग्राम पंचायत की सहमति लेना और वास्तविक उपयोगकर्ताओं को शामिल करना।

परियोजना प्रावधानो का चयनात्मक उपयोग, विशेष रूप से लधु वन उपजों के सतत् फसल कटाई प्रोटोकाल और मूल्य संवर्धन प्रावधान का उपयोग। उपयोगकर्ताओं और वनवासियों के सहयोग से नए प्रोटोकॉल विकसित करना।

प्रोटोकॉल के प्रयोग पर आश्रितों को उचित प्रशिक्षण देना।

इस घटक में सिविल सोसाइटी (नागरिक समाज) को इंटरफेस के रूप में उपयोग करना।