एसएलईएम प्रणालियों का विस्तारीकरण
इस घटक का मुख्य उद्देश्य भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण को रोकना और गतिविधियों के माध्यम से जमीन के ऊपर वन कार्बन स्टॉक को बढ़ाना, परीक्षण की गई सतत् विकास और पारितंत्र प्रबंधन (एसएलईएम) की सर्वोत्तम प्रणालियों को लागू करना और स्केल-अप करना, भूमि क्षरण की निगरानी के लिए राष्ट्रीय क्षमता में वृद्धि करना, संबंधित सूचकों को ट्रैक करना और एसएलईएम दृष्टिकोण पर ज्ञान विनिमय करना है। इस घटक के निम्नलिखित तीन उप-घटक हैं:
इस उप-घटक के तहत की जाने वाली गतिविधियाँ:
- एसएलईएम सर्वोत्तम प्रथाओं का विस्तार
- भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण निगरानी के लिए राष्ट्रीय क्षमता का निर्माण
- राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का विकास और कार्यान्वयन
उप-घटक 1. एसएलईएम सर्वोत्तम प्रथाओं का विस्तार:
भा.वा.अ.शि.प. ने विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित एसएलईएम परियोजना के तहत सतत् भूमि और पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन (एसएलईएम) के लिए 22 सर्वोत्तम प्रणालियो का दस्तावेजीकरण किया है। सभी पहचाने गए एसएलईएम सर्वोत्तम प्रथाओं में से, भा.वा.अ.शि.प. सामान्य संपत्ति संसाधन भूमि, निजी भूमि और गैर-वन क्षेत्रों में चयनित, परीक्षण और सिद्ध एसएलईएम सर्वोत्तम प्रथाओं को उनके स्थान विशिष्ट और उपयुक्तता के अनुसार मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चयनित परिदृश्यों में बढ़ाने की परिकल्पना करता है।
- उपलब्ध, परखी और सिद्ध एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणालियों का अनुप्रयोग और बढ़ाना।
- एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणालियों के उन्नयन के लिए क्षेत्रों और लाभार्थियों का चयन।
- निगरानी हेतु योग्य संकेतकों की पहचान जिनकी परियोजना गतिविधियों से सकारात्मक रूप से प्रभावित होने की संभावना है।
- पहचानी गई एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणालियों को लागू करने के लिए आवश्यक इनपुट (बीज/पौध और जैविक इनपुट) प्राप्त करना।
- सामान्य संपत्ति संसाधनों में सुधार के लिए छोटे कार्यों का वित्तपोषण (चेक डैम/गली प्लग/मिट्टी-नमी संरक्षण कार्य/ड्रेनेज लाइन सुधार) करना।
- विभिन्न हितधारकों (लाभार्थियों और विस्तार कार्यकर्ताओं) में एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणालियों के उपयोग के बारे में विभिन्न माध्यमों जैसे एक्सपोजर दौरा, कार्यशाला आदि द्वारा जागरूकता का निर्माण करना।
- प्रशिक्षण मैनुअल, प्रचार सामग्री, ज्ञान उत्पाद, सफलता की कहानियां, आदि तैयार करना।
- पहचानी गई एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणालियों को लागू करने के लिए विभिन्न हितधारकों (लाभार्थियों और विस्तार कार्यकर्ताओं) को प्रशिक्षण देना।
- हितधारक जागरूकता, क्षमता निर्माण और तकनीकी सहायता (बेहतर बीज/पौधे/तकनीक), मूल्य संवर्धन और कृषि विज्ञान केंद्र, राज्य कृषि विभागों और सीबीओ आदि जैसे तकनीकी संस्थानों के साथ बाजार संबंधों के माध्यम से कृषि-वानिकी आधारित गतिविधियों को बढ़ाना।
- प्रशिक्षण, कार्यशालाओं को संवेदनशील बनाने और नई विस्तार सामग्री तैयार करना, आदि के माध्यम से अवक्रमित सामान्य संपत्ति संसाधनों की बहाली को बढ़ावा देने के लिए वन विज्ञान केंद्र और नर्सरी की क्षमता का विकास करना।
- मौजूदा वन विज्ञान केंद्रों को सशक्त करने के लिए अध्ययन करना।
- स्थानीय समुदाय का क्षमता निर्माण और अवक्रमित वनों में वनीकरण के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करना और अन्य वनीकरण कार्यक्रमों के साथ संबंध स्थापित करना।
- एसएलईएम दृष्टिकोण अपनाने और विस्तार करने में समान हितों वाले हितधारकों का एक समुदाय के रूप में विकास करना।
- समुदाय, खेत और आम भूमि के इंटरफेस पर सीखने की घटनाओं का संगठित और कार्यान्वयन करना।
- एसएलईएम ज्ञान उत्पादों को तैयार करने और प्रसार के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करना।
छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के ईएसआईपी परिदृश्य में कई एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणालियों को कार्यान्वित किया गया है। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2019 – 20 में एक एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणाली कार्यान्वित किया गया। वर्ष 2020-21 में, चार सर्वश्रेष्ठ एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणालियों को कार्यान्वित करने वाली आठ गतिविधियों को छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में किया गया। वर्ष 2021-22 में, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में दो सर्वोत्तम एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणालियों को शामिल करते हुए आठ गतिविधियों को कार्यान्वित किया गया। अब तक कुल 7483 लोग इन कार्यक्रमों के प्रत्यक्ष लाभार्थी बन चुके हैं। विभिन्न लाभान्वित हुए गाँव और गतिविधियों में शामिल पुरुषों, महिलाओं और आदिवासियों आदि की संख्या नीचे सूचीबद्ध है।
अप्रैल 2019 – मार्च 2020 में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के ईएसआईपी परिद्रश्यों में कार्यान्वित की गई एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणालियां
क्रमांक | एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणाली | कार्यक्रम की संख्या | प्रत्यक्ष लाभार्थी | अप्रत्यक्ष लाभार्थी | कुल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभार्थी |
क्षेत्र कवरेज (हेक्टेयर) | राज्य | गांव/जेएफएमसी | ||||
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पुरुष | महिला | आदिवासियों | कमजोर समुदाय | कुल | ||||||||
1 | सघन धान प्रणाली | 1 | 3 | 2 | 3 | 0 | 5 | 20 | 25 | 2.5 | छत्तीसगढ़ | मरवाही वन मंडल: अमेराटिकरा, मटियाडांड, तिहाइटोला (रुमगा) और बंसीताल। |
अप्रैल 2020 – मार्च 2021 में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के ईएसआईपी परिद्रश्यों में कार्यान्वित की गई एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणालियां
क्रमांक | एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणाली | कार्यक्रम की संख्या | प्रत्यक्ष लाभार्थी | अप्रत्यक्ष लाभार्थी | कुल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभार्थी | क्षेत्र कवरेज (हेक्टेयर) | राज्य | गांव/जेएफएमसी | |||
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पुरुष | महिला | आदिवासियों | कुल | ||||||||
1 |
सतत् भूमि उत्पादकता के लिए एकीकृत कृषि विकास | 2 | 351 | 110 | 364 | 461 | 2289 | 2750 | 38.5 | मध्य प्रदेश | सीहोर वन मंडल : नागनपुर, चचमऊ, खतपुरा, अकोला, परसवाड़ा, सैदगंज, पहाड़खेड़ी। |
छत्तीसगढ़ | कवर्धा वन मंडल: अमानिया, भंगिटोला, राहीडांड, रोकनी, नेउर, रुखमीदादार, ताईतेरनी, अमलितोला, कटघोरा वन मंडल: चंवारी पारा, जमनीपानी, कन्हैया पारा, कर्रानवाडीह, कर्रानवापारा , परसापानी, बलरामपुर वन मंडल: केसरी, नौगई, रघुनाथनगर, रमेशपुर, गिरवानी (मनबासा), बभनी और शंकरपुर । | ||||||||||
2 |
आजीविका सृजन और जैव विविधता संरक्षण के लिए लाख की खेती | 1 | 180 | 2 | 153 | 182 | 728 | 910 | 182 | छत्तीसगढ़ | मरवाही वन मंडल: रुमगा, दानीकुंडी, बंसीताल, कोलबीरा, बघर्रा, नाका, मड़ई, मटियाडांड, पथरा, सिलपहरी, अमेराटिकरा और मौहारिटोला । |
3 |
वर्षा जल संचयन और जल संसाधनों का संवर्धन | 3 | 250 | 69 | 244 | 319 | 1276 | 1595 | 565.48 | छत्तीसगढ़ | मरवाही वन मंडल: रुमगा, मटियादंड, अमेराटिकरा, बलरामपुर वन मंडल: शंकरपुर, रमेशपुर, बभनी |
मध्य प्रदेश | उत्तरी बैतूल वन मंडल: बानाबहेड़ा, कोयलबुड्डी, तेतरमल, कछार, होशंगाबाद वन मंडल: बांसपानी, पीपलगोटा, नयागांव, पिपरियाखुर्द, लालपानी | ||||||||||
4 |
क्लाइमेट प्रूफिंग फिश फार्मिंग | 2 | 18 | 3 | 9 | 21 | 31 | 52 | 33 | छत्तीसगढ़ | मरवाही वन मंडल: बंसीताल |
मध्य प्रदेश | सीहोर वन मंडल: चचमऊ | ||||||||||
कुल योग | 8 | 799 | 184 | 770 | 983 | 4324 | 5307 | 818.98 |
अप्रैल 2020 – मार्च 2021 में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के ईएसआईपी परिद्रश्यों में कार्यान्वित की गई एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणालियां
क्रमांक | एसएलईएम सर्वोत्तम प्रणाली | कार्यक्रम की संख्या | प्रत्यक्ष लाभार्थी | अप्रत्यक्ष लाभार्थी | कुल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभार्थी | क्षेत्र कवरेज (हेक्टेयर) | राज्य | गांव/जेएफएमसी | |||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
पुरुष | महिला | आदिवासियों | कुल | ||||||||
1 |
आजीविका सृजन और जैव विविधता संरक्षण के लिए लाख की खेती | 2 | 1186 | 270 | 864 | 1456 | 7032 | 8488 | 1229.8 | छत्तीसगढ़ | कटघोरा वन मंडल: चंवारीपारा, कर्रानवापारा, कर्रानवाडीह और कन्हैया पारा,बलरामपुर वन मंडल: शंकरपुर, रमेशपुर, रघुनाथनगर, नौगई, गिरवानी, केसरी, बभनी |
2 |
उन्नत चूल्हा वितरण: सतत् भूमि और जलवायु अभ्यास | 6 | 2125 | 2917 | 3670 | 5039 | 21339 | 26378 | बाद में सूचित किया जायेगा | छत्तीसगढ़ | कवर्धा वन मंडल: अमानिया, भंगिटोला, राहीडांड, रोकणी, नेउर, रुखमीदादार, ताईतेरनी और अमलितोला, कटघोरा वन मंडल: कन्हियापारा, परसापानी, जमनीपानी, कोडार, कर्रानवाडी, चंवारीपारा और कर्रानावापारा मरवाही वन मंडल: मटियादंड, दानीकुंडी, बंसीताल,अमेराटिकरा,मौहारिटोला, कोलबीरा, नाका, सिलपहरी, पत्थर्रा, बघर्रा और तिहाइटोला (रुमगा) |
मध्य प्रदेश | सीहोर वन मंडल: नागनपुर, चचमऊ, हथलेवा, खटपुरा, अकोला, परसवाड़ा, सैदगंज और पहाड़खेड़ी, उत्तरी बैतूल वन मंडल: बानाबहेड़ा, कोयलबुड्डी, हांडीपानी, कोयलरी, कछार, कुप्पा, तेतरमल, होशंगाबाद वन मंडल: कोहड़ा, पिपरिया खुर्द, भटना, लालपानी, भवंदा, चंदाखड़, घोघरा, गोताबर्री जोंधल, केवलाझीर, नर्री, सलई, सोताचिकली, नंदेरवाड़ा, पीपलगोटा, नयागांव | ||||||||||
कुल योग | 8 | 3311 | 3187 | 4534 | 6495 | 28371 | 34866 |
उप-घटक 2. भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण निगरानी के लिए राष्ट्रीय क्षमता का निर्माण:
इस उप-घटक के तहत निम्नलिखित गतिविधियां की जा रही हैं:
- अन्य क्षेत्रों में एसएलईएम की संस्थागत और नीति को मुख्य धारा में लाने के लिए रोडमैप विकसित करना।
- भूमि क्षरण, मरुस्थलीकरण और सूखे पर प्रमुख प्रभाव/प्रगति संकेतकों की प्रवृत्तियों और स्थिति को पकड़ने के लिए एक ऑनलाइन राष्ट्रीय रिपोर्टिंग डेटाबेस पोर्टल विकसित करना।
उप-घटक 3. राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का विकास और कार्यान्वयन:
इस उप-घटक के तहत निम्नलिखित गतिविधियां की जा रही हैं:
- संस्थागत और व्यक्तिगत नेटवर्क के विकास के लिए एसएलईएम पेशेवर लोगों पर राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करना।
- एसएलईएम ज्ञान उत्पादों को तैयार करने और प्रसार करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करना।
- विस्तार सेवाओं की मदद से कृषि भूमि तक सीधे पहुंच और इन सेवाओं का उपयोग करने के लिए एक परस्पर संवादात्मक वेब-आधारित प्लेटफॉर्म का विकास करना।
- अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए सर्वोत्तम प्रणालियों के प्रसार के लिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बुनियादी ढांचे का विकास करना ।